[schema type=”musicrecording” inalbum=”Jannat 2 ” byartist=”Emraan Hashmi, Randeep Hooda, Esha Gupta, Imran Zahid” author=”Mayur Puri” creator=”Krishnakumar Kunnath (K.K)” inlanguage=”Hindi” headline=”Jannate Kahan” ]
ज़रा सा ज़रा सा, लगे तू खफा सा
ज़रा सा ज़रा सा, गिला बेवजह सा
तेरे ही लिए तुझसे हूं जुदा
जन्नते कहाँ बिन हुए फनाह
ज़रा सा ज़रा सा, मुझे हैं गुमाँ सा
ज़रा सा ज़रा सा, अभी हैं नशा सा
तेरे ही लिए तुझसे हु जुदा
जन्नते कहाँ बिन हुए फनाह
हा फिर धुआ सा दीखता हैं
जो भी लिखू मैं मिटता हैं
दो पल में ही वो बाते वो राते वो यादे किसी की
छूटती ही जा रही हैं, टूटती ही जा रही हैं
वो हर काडी इन साँसों को, आहो को
मेरे गुनाहों को मैं रही हैं कोई सजा
जन्नते कहाँ बिन हुए फनाह
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