[schema type=”musicrecording” inalbum=”London Paris New York ” byartist=”Ali Zafar,Aditi Rao Hydari” author=”Ali Zafar” creator=”Ali Zafar” inlanguage=”Hindi” headline=”Vo Dekhne Me (Male Version)” ]
वो देखने में कैसी सीधी सादी लगती
है बोलती के वो तो कुछ नहीं समझती, अंदर से कितनी तेज है
कभी अजीब सी, कभी हसीन लगती
कभी किसी किताब का है सीन लगती, फिलोसोफी का क्रेज है
हो कहती है ये इक फेस है
वो देखने में कैसी सीधी सादी लगती
है बोलती के वो तो कुछ नहीं समझती, अंदर से कितनी तेज है
कभी अजीब सी, कभी हसीन लगती
कभी किसी किताब का है सीन लगती, फिलोसोफी का क्रेज है
हो कहती है ये इक फेस है, हा कहती है ये इक फेस है
ये कहा में आ गया, बोलो कैसा ये दयार है
दिल किसीका हो गया ना इसपे इख्तेयार है
करू तो क्या करू, कहू तो क्या कहू
ये गाना भी तो उसको पास लाने का बहाना है
वो चुप चुप मेरे दिल के राज़ खोलती
आटअकिये में मेरे ख्वाब भी टटोलती, पोस्सेस्सिवेनेस का केस है
जान-ए-जा जान-ए-मन तो हर गाने में आता है
परवाना रोमिओ हर लड़का ही बन जाता है
लिखू तो क्या लिखू, बनू तो क्या बनू
ये फिल्मो में लड़का ही क्यूँ लड़की को फंसाता है
में चाहू भी तो में सभी वो कर जाता हू
वो आये सामने तो में सुधर जाता हू, लड़की इक फूल ऑन चेस है
हो कहती है ये इक फेस है
वो देखने में कैसी सीधी सादी लगती
है बोलती के वो तो कुछ नहीं समझती, अंदर से कितनी तेज है
कभी अजीब सी, कभी हसीन लगती
कभी किसी किताब का है सीन लगती, फिलोसोफी का क्रेज है
हो कहती है ये इक फेस है, हा कहती है ये इक फेस है
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